Chanakya Neeti: Inspirational Quotes In Hindi

 Chanakya Neeti: Inspirational Quotes In Hindi 

चाणक्य के हर नियम जीवन में सफ़ल होने के लिए काफ़ी जरुरी और मददगार साबित होती है। ईश जान कर आप अपनी जिंदगी को बदल सकते हैं, सही सीख ले सकते हैं। इसलिए आज हम २० ऐश चाणक्य के नीति को जानेंगे जो सब के हित में है।

चाणक्य नीति:


किसी के बुरे वचनों से मत घबराना, क्यूंकि सफलता मिलते ही लोगों की राय बदल जाते हैं।

हारना तब आवश्यक हो जाता है जब लड़ाई अपनो से हो
और जीतना तब आवश्यक हो जाता है जब लड़ाई अपने आप से हो।

अपने नीज़ी समस्या केबल अपने तक ही रखो:
क्यूंकि तुम्हारे समस्या जान कर लोग तुम्हारे मज़ाक बना सकते हैं।

सांप, राजा, शेर, बालक, मूर्ख और दूसरों की कुत्ता अगर शो रहे हैं तो इन्हें नहीं जगाना चाहिए।

कौन कहता है जैसा संग वैसा रंग?
इंसान कभी लोमड़ी के साथ नहीं रहता फ़िर भी सातीर है।
इंसान कभी शेर के साथ नहीं रहता फ़िर भी क्रूर है।
और तो इंसान मे वो फितरत है जो कुत्ते के साथ रहता है
फिर भी बफादार नहीं होता।

दुष्ट पत्नी, साठ मित्र, उत्तर देनेवाला सेबक तथा सांप वाले घर में निबाश करना, ये मृत्यु के कारण है, इसमें कोई संदेह नहीं करना चाहिए।

ये आठों कभी दूसरों का दुःख नहीं समझते
राजा, बेस्या, यमराज, अग्नी, छोटा बच्चा, चोर, भीकारी और कर वसूली करने वाला।

जो माता पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते, वो बच्चे की सत्रु समान है।
क्यूंकि वे बालक विद्वानों के सभा में वैसे ही तिरस्कार किया जाता है जैसे हंसो के सभा में बगुले को।

जीवन का तीन मूल मंत्र।
आनंद में वचन मत दिजिए।
क्रोध में उत्तर मत दीजिए।
दुःख में निर्णय मत लिजिए।


नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता है।
इतिहास गवाह है की आजतक कभी नमक में कीड़ा नहीं पड़े।

बगुले से एकाग्र चित्त होने की सिक्ष्या ग्रहण करना चाहिए। जीस प्रकार बगुले अपनी समस्त क्रियाओं को त्याग कर एकाग्रचित होकर अपनी शिकार का ध्यान करता है।

कई तरह के नेत्र हीनता होती है। कुछ लोग जनम से ही अंधे होते हैं। काम वासना हुए अंधे को कुछ नहीं सूझता है, मध्य अंधा को भी कुछ दिखाई नहीं पड़ता, लोभी भी लोभ के वशीभूत नेत्र हीन होता है।

सिद्ध औषधी का मर्म, गुप्त बारता, घर का भेड़, अपमान कि बात, इन सभी चीजों को गुप्त रखना ही हितकर होता है।

जो वक्ती सभी प्राणियों के प्रति समान भाब रखता है, दूसरों को धन को मिट्टी समान समझता है और पर स्त्री को माता, वही सच्चा विद्वान और ब्राह्मण है।

यदि सिंह के मांद में जाकर देखा जाए तो हो सकता है कि कीमती गुजमुक्ता मणि मील जाए, लेकिन सियार के गुफ़ा में बछड़े का पूंछ और गधे की चमड़े के अलावा कुछ नहीं मील सकता।

सुख सदेव किसी को नहीं मिलता है, ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो कभी बीमार नहीं होता, कोई ना कोई दोष निकल आती है। अतः हमे परिस्थितियों के अनुसार ही आचरण करना चाहिए।

दुर्जन को साहस से, बलवान को अनुकूल यबहार से और समान सक्तिसाली को नम्रता से अथवा अपनी ताकत से वश मे रखना चाहिए।

मुर्ख का हृदय सुना रहता है, पुत्र रहित घर सुना रहता है, लेकिन गरीब का घर इनसे कहीं अधिक सुना रहता है। अतः आदमी को परिश्रम करके ईश पर विजय प्रात करना चाहिए।

अतिथि को सत्कार ना करने वाला, थके हारे को आश्रय ना देने वाला और दूसरों की हिस्सा हड़प ने वाला, ये सब लोग महा पापी होते हैं।

दिन के समय में दीपक जलाना, सुमुद्र में बरसा, भरे पेट के लिए भोजन और धन वान को धन देना यार्थ है।


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